सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या से लेकर आर्यन खान ड्रग केस जैसे विवादों से उछले मामलों ने नशीली दवाओं के काले कारोबार की तेज़ी से फ़ैल रही बीमारी को उजागर किया है. वहीं ड्रग्स खरीद फरोख्त के इस गोरखधंधे का बड़ा हिस्सा अब इंटरनेट के पाताल लोक से चलता है. ऐसे में अब सरकार जहां तेजी से इस डीप और डार्क वेब मॉनिटरिंग की क्षमता बढ़ा रही है. वहीं बड़े पैमाने पर फोरेंसिक विश्लेषण और रोकथाम के उपायों को भी मजबूत करने में जुटी है.
अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक साइबर क्राइम
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में तैनात नेशनल साइबर सिक्योरिटी को ऑर्डिनेटर लेफ्टिनेंट जनरल(रि) राजेश पंत ने कहा कि डीप और डार्क वेब आपराधिक कारोबार का बड़ा अड्डा है. जहां नशीली दवाओं, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, अवैध हथियारों समेत हर तरह के गैरकानूनी काम को अंजाम दिया जाता है. इंटरनेट के इस निचले तल में झूठी पहचान से लेकर क्रिप्टो करेंसी लेनदेन जैसे हथकंडों का इस्तेमाल होता है, जिसे पकड़ना कठिन है. हालांकि सरकारी एजेंसियां अब तेजी से इनकी निगरानी के तरीके निकाल रही हैं.
जनरल पंत के मुताबिक साइबर सुरक्षा एक ऐसी गम्भीर चुनौती है जो भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनने के सपने पर ब्रेक लगा सकती है. चिंता की बात यह है कि देश में जहां साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं. वहीं उससे मुकाबले क्षमताओं में अब भी कम हैं और उन्हें सजा तक पहुंचाने की व्यवस्था कमज़ोर. ऐसे में यह बेहद ज़रूरी है कि साइबर अपराधों को सुझलाने और सबूतों के साथ अपराधियों को सज़ा दिलाने का ताना-बाना मजबूत किया जाए.
जल्द ही आएगा मोबाइल की सेहत का आरोग्य सेतु ऐप
इतना ही नहीं आम लोगों की साइबर सुरक्षा सुविधा मजबूत करने के लिए जल्द ही एक मोबाइल एप्लीकेशन भी तैयार किया जा रहा है. भारत के कंप्यूटर एमरजैंसी रिस्पांस टीम(CERT) और सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ में आने वाले खतरों के मुताबिक भारतीय उपभोक्ताओं को यह एप्लीकेशन आगाह करता रहेगा.
इंस्टॉल करने के बाद यह एप्लिकेशन समय-समय पर और नियमित तरीके से स्मार्टफोन मोबाइल डिवाइस के भीतर मौजूद मैलवेयर और कमज़ोरियों को पकड़ने में मदद देगा.
इसके अलावा जल्द ही देश के लिए नई साइबर सुरक्षा रणनीति के ऐलान की भी उम्मीद जताई जा रही है. जनरल पंत ने बताया कि इस नीति का ड्राफ्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा जा चुका है. उम्मीद है कि जल्द ही इसकी घोषणा हो जाएगी जिसके बाद देश में साइबर सुरक्षा से जुड़े विभिन्न कामों को एक संयोजित तरीके से आगे बढाने में भी मदद मिलेगी.
सेना, सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस की ताकत बढ़ाएगी डिजिटल फोरेंसिक लैब
सरकारी क्षेत्र की मिनी रत्न कम्पनी बेसिल के नोयडा परिसर में शुरू हुई देश की आठवीं डिजिटल फोरेंसिक लैब का उद्घाटन करते हुए ले. जनरल पंत ने कहा कि देश में डिजिटल फॉरेंसिक क्षमताओं को बढ़ाने की ज़रूरत है. ताकि आजकल हर अपराध में नज़र आने वाले स्मार्टफोन उपकरणों, साइबर साधनों से सबूतों को जमा किया जा सके.
ध्यान रहे कि भारत में तेजी से फैलता मोबाइल फोन डिवाइसेज का विस्तार सरकारी एजेंसियों व पुलिस व्यवस्था के लिए साएअबर अपराधियों को पकड़ने में बड़ी मुश्किल बन रहा है. देश में इस वक्त 70 करोड़ स्मार्टफोन डिवाइस हैं और जल्द ही यह आंकड़ा 100 करोड़ को पार कर जाएगा. इसके अलावा केंद्रीय प्रणाली के अभाव में साइबर अपराधी राज्यों की सीमाओं और थानों की हदों से बंधी पुलिस व्यवस्था को चकमा देने के तरीके निकाल लेते हैं.
इस मौके पर बेसिल के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर जॉर्ज कुरुविला ने बताया की अब तक सूचना प्रसारण के क्षेत्र में काम कर रही यह सरकारी कंपनी तेजी से तकनीक के नए आयामों की दिशा में अपनी क्षमता बढ़ा रही है. इस कड़ी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डिजिटल फॉरेंसिक और ड्रोन टेक्नोलॉजी की सेवाओं को भी जोड़ा जा रहा है. उन्होंने कहा की बेसिल की यह डिजिटल फॉरेंसिक लैब सेना सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस प्रशासन को साइबर अपराधों से निपटने में मदद देगी.